बचा लो बदलते रिश्ते
अब भी समय है बचा लीजिए अपने रिश्ते !
वर्ना पछताओगे जब उड़ जायेंगे ये फ़रिश्ते !!
कुछ रिश्ते हैं अभी तक जिन्दा,क्योंकि वो चुप हैं !
प्यार में बढ़ती जा रही है दरार,फिर भी चुप हैं !!
वैसे अपनी-अपनी जगह पर सभी फ़रिश्ते हैं !
जबकि भीतर ही भीतर कुछ ज़ख्म रिसते हैं !!
अच्छा तो यही है हमेशा जारी रखो मुस्कुराना !
मिलने पर या फोन पर पुराने किस्से न दोहराना !!
समझो,कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता !
सब जानते हैं कीचड में ही कमल पुष्प है खिलता !!
केवल नियम बना लो-जियो और सबको जीने दो !
कोई भी नहीं जानता - कल का सवेरा हो न हो !!
******नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया-अमेरिका*******
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