पोस्ट कार्ड/खत/चिठ्ठियां
याद आ रहा है पोस्टकार्ड का वो गुज़रा ज़माना।
3/5 फिर15पैसों में हो जाता था मिलना-मिलाना।।
कितने प्यार से होता था,अपने डाकिये का इंतज़ार।
खबरें खुशी-गम की व लिफाफे में राखी का इंतज़ार ।।
खुशी-खुशी देते थे डाकिये को होली-दीवाली पे इनाम।
कभी-कभी पोस्टकार्ड का फटा कोना मचाता था कोहराम।।
आज मुझे याद आरही है चिट्ठियों की, प्यारी-प्यारी भाषा।
सारे परिवार के दिलों में रहती थी सुनने की अभिलाषा।
जैसे "अत्र कुशलम तत्रास्तु" हिंदी में लिखा होता था।
"यहां खरियतहै आपकी खरियत खुदा से नेक मतलू"उर्दू में ,
और"चिटटे चौल उबाल के उत्ते पाँवां खंड , तुहाडी चिट्ठी पढ़ के-- दिलां च पेंदी ठंड" पंजाबी में लिखा होता था !!!!
Starting में हिंदी/पंजाबी में"मेरे परम पूज्य मासी,मामा,चाचा जी -
लिखते थे प्रणाम,पेरीपोना या हाथ जोड़कर नमस्कार।
उर्दू में -"वालिद/वाल्दा/हमशीरा खैरियत से हैं बरखुरदार"।।
काश ! पोस्टकार्ड,अंतर्देशीय पत्र व एरोग्राम न होते बंद !
e mail,whats app,phone messagesमें कहाँ वो आनंद !!
**नरेन्द्र चावला-भारत**अमेरिका**
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