खोया पाया
जैसा भी बीज हम जीवन में बोते हैं।
वैसे ही कभी कुछ पाते,कभी कुछ खोते हैं
मिलते हैं हमें कभी दण्ड तो कभी पुरुस्कार ।
यही है हमारे कर्मों का खोया पाया चमत्कार।।
अपने कर्मों के जाल से हम,नहीं सकते निकल।
जन्म से मृत्यु तक हमें भोगना ही पड़ेगा फल !!
कभी अस्वस्थ होंगे तो कभी आर्थिक हानि का होगा सामना। कभी किसी को खोकर तो कभी खुशियों का दामन थामना।।
हमें सदा रहना चाहिए ईश्वर अल्लाह का शुक्रगुज़ार।
जो पाया और जो खोया,सब हमारे कर्मों का हैआधार।।
मैंने अपने शिक्षक-जीवन में पाए,आश्चर्यजनक पुरुस्कार।
जब-जब मिला दलित जाति के विद्यार्थियों से हार्दिक प्यार।।
जो अब अपने जीवन में एक प्रतिष्ठित पद पर हैं कार्यरत।
कुछ सरकारी स्कूल के बच्चों ने पाई विदेशों में महारत।।
केवल राष्ट्रीय पुरुस्कारों से ही नहीं होता मूल्यांकन हमारा।
वास्तविकता तो हमारे कर्म ही दिखाते हैं,पग-पग पे नज़ारा।।
मंदिर,मस्जिद,चर्च तथा गुरुद्वारों से ऊपर हैं हमारे करम। किसीअसहाय का सहारा बनोगे तो मिट जायेंगे सब भरम।।
जब-जब आती है ------- हमारे जीवन में समृद्धि।
समझ लीजिये आपके कर्मों के खाते में हुई है वृद्धि।।
जब भी आप से मिलके,किसी के चेहरे पे आये मुस्कुराहट।
समझ लेना ये सब भी है परमात्मा के वरदान की आहट।।
जो खोया है वह नहीं था आपका।
जो पाया हैं पुरस्कार है आपका।।
**नरेन्द्र चावला*अमेरिका**
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