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Saturday, July 12, 2025

अध्यापनकाल की स्मृतियां***नरेन्द्र चावला

    मेरी अध्यापन काल की स्मृतियाँ 

आज अकस्मात उभर कर आई एक स्मृति रेखा ! 

जब मैंने अपने अध्यापनकाल के दृश्यों को देखा !!

कभी हुयी दिल्ली रामपुरा स्कूल की गर्व की बात !

जब अमेरिका में एक योग्य छात्र से हुयी मुलाकात !!

शायद यही होता है एक सेवामुक्त अध्यापक पुरुस्कार !

विख्यात कम्पनी में निदेशक अनिल जैन का आभार !!

जिसने 1986/88 में मेरे सहकर्मियों की याद दिलाई !

कल उन्हीं के सुपुत्र के विवाह निमंत्रण पर दी बधाई !! 

जब एयरपोर्ट पर एक Mech,इंजीनियर ने किया प्रणाम!

मुझे पहचाना व बताया स्वीपर का पुत्र हूँ राज है नाम !! 

फिर याद आये कुछ बेहद शरारती बच्चे,जो पढ़ाई में कमज़ोर !

ऐसे छात्र खेलों में और कक्षा में नियंत्रण करते थे पुरज़ोर !! 

उस समय छात्र को दण्ड मिलने पर प्रसन्न होते थे अभिभावक !

और अनुशासन व्यवस्था भी चलती थी समुचित तथा व्यापक !!

मुझे गर्व होता है जब-जब देखता हूँ अपनी सेवानिवृति के चित्र !

अनुपम प्रसन्नता होती है देख कर उन निर्धन छात्रों के चरित्र !! 

जब उन छात्रों ने किया था मेरा इतनी पुष्प मालाओं से सम्मान !

ईश्वर से विनती है हमारी नई पीढ़ी पर,सरकार दे अधिक ध्यान !! 

शिक्षक दिवस पर होता है मन व्यथित देखकर हालात।

अपेक्षाकृत शिक्षकों के वेतन वृद्धि पर नहीं होती बात।।

कहने को तो छात्रों के भविष्य निर्माता कहलाते हैं।

परन्तु परिवार चलाने हेतु पार्टटाइम ट्यूशन पढ़ाते हैं।।

आज आधुनिक शिक्षा प्रणाली में अध्यापकों पर लगे हैं प्रतिबंध !                                                   अभिभावक भी हैं विवश क्योंकि संयुक्त-परिवार प्रथा हो रही बंद !! 

डाक्टर/इंजीनियर तो बन रहे परन्तु भूल गए,परम्परागत संस्कार ! 

नरेन्द्र चावला कहे अभी भी समय है संभालिये अब तो युवाशक्ति-प्रभार !! 

*****नरेन्द्र चावला -वर्जीनिया-अमेरिका*****

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