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Monday, April 28, 2025

दान ! कैसा- कैसा ??

            दान ! कैसा -कैसा 

      दान देना भी एक सत्यकर्म है महान। 

एक से एक बढ़ कर दानियों से भरा पड़ा है जहान।।

अपने नाम से देना नहीं कहलाता दान ,

क्योंकि इसमें छलकता है मानव का अहंकार।

दान सदैव झुक कर ही देना चाहिए ,

क्योंकि वास्तव में प्रभु हैं सब कीकुछ देवनहार।।

नामांकन पट्टियां लगवाना,भवन दानआदि है अहम की तस्वीर।

जगत प्रसिद्ध हैं ऋषि दधीचि,शिवि तथा कर्ण आदर्श दानवीर।।

कन्या दान,गऊ दान,दुग्ध व जलदान को मानता है उचित समाज।

कुछ मुख्य दान हैं-शिक्षा देना तथा बाँटना वस्त्र,भोजन या अनाज।।

प्रशंसनीय हैं यदि किया जाए- बेनाम  गुप्तदान तथा क्षमादान।निंदनीय है समाज में मरणोपरांत किया जाने वाला गऊ दान।।   

लेकिन सर्वोत्तम माने जाते है नेत्रदान , अंगदान तथा रक्तदान। किन्तु सर्वोपरि है घोषित करना,मरणोपरान्त अपना देह दान।।

*नरेन्द्रचावला*भारत*अमेरिका                                                          


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