Search This Blog

Saturday, October 5, 2024

पतझड़*** नरेन्द्र चावला

                 पतझड़ भी है सुंदरता

जैसे-जैसे मैं देख रहा हूँ , प्रतिवर्ष की भांति पतझड़ !

मन-मस्तिष्क ने फिर पाई है ,काव्य रचना की पकड़ !!

कितना सुन्दर लगता लाल,पीले सूखे पत्तों का बिछौना !

सत्य है हम सभी जीव हैं ईश्वर के हाथों का  खिलौना !! 

न केवल पेड़-पौधों पर ही ये पतझड़ का मौसम आता है !

ये परिवर्तन तो विश्व के प्रत्येक प्राणी के जीवन में आता है !! 

कुछ लोग इस परिवर्तन को कहते हैं मानव की वृद्धावस्था !

स्थायी नहीं ये , इसके बाद आएगी बसन्त बहार की सुंदरता !!

देखना कितने सुन्दर,मनोरम कलियाँ,पत्ते व पुष्प आएंगे।हम सबका और अपना जीवन सौम्य व सफल बनाएंगे।।

नरेन्द्र चावला कहे,पतझड़ क्या हर मौसम होता है बहुत सुहावना ! 

सकारात्मक दृष्टि से देखने की होनी चाहिए,केवल हमारी भावना !!

*******नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया-अमेरिका*******   

No comments: