पतझड़ भी है सुंदरता
जैसे-जैसे मैं देख रहा हूँ , प्रतिवर्ष की भांति पतझड़ !
मन-मस्तिष्क ने फिर पाई है ,काव्य रचना की पकड़ !!
कितना सुन्दर लगता लाल,पीले सूखे पत्तों का बिछौना !
सत्य है हम सभी जीव हैं ईश्वर के हाथों का खिलौना !!
न केवल पेड़-पौधों पर ही ये पतझड़ का मौसम आता है !
ये परिवर्तन तो विश्व के प्रत्येक प्राणी के जीवन में आता है !!
कुछ लोग इस परिवर्तन को कहते हैं मानव की वृद्धावस्था !
स्थायी नहीं ये , इसके बाद आएगी बसन्त बहार की सुंदरता !!
देखना कितने सुन्दर,मनोरम कलियाँ,पत्ते व पुष्प आएंगे।हम सबका और अपना जीवन सौम्य व सफल बनाएंगे।।
नरेन्द्र चावला कहे,पतझड़ क्या हर मौसम होता है बहुत सुहावना !
सकारात्मक दृष्टि से देखने की होनी चाहिए,केवल हमारी भावना !!
*******नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया-अमेरिका*******
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