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Wednesday, September 18, 2024

गृहणी????***नरेन्द्र चावला

               गृहणी  ?????(1)

आईये जाने गृहणी शब्द का क्या होता अभिप्राय या सार  ! 

ग्रहणी शब्द का अर्थ है जिस का ऋणी होता समस्त परिवार !!

यदि करें विश्व के विद्वान पुरुष गंभीरता से गृहणी शब्द पे विचार !

जन्म लेकर से मृत्यु पर्यन्त नारी के हम पर हैं -अगणित उपकार !!

जन्म ले कर के बन जाती वह मातपिता की बिटिया प्यारी-प्यारी !

परन्तु शिक्षित हो कर बनना पड़ता किसी दूसरे परिवार की प्रभारी !!                                                                 करना पड़ता अपने प्रिय मातापिता ,भाई-बहनों संबंधों का त्याग !

विवाह के उपरांत तो बिलकुल परिवर्तित हो जाते हैं उसके भाग !!

वहां मिलती हैं उसको कहीं पर स्वर्ग तो कहीं पर नर्क की झलक !                                                                   फिर माँ बनने पर उसमें  उत्पन्न होती -मातृत्व वातसल्य अपलक !! 

कभी बनी शापित अहिल्या पाषाण,कभी गांधारी आजीवन दृष्टि बलिदान ! 

कभी अपने साहस से रानी झाँसी लक्ष्मीबाई,तो कभी जीजाबाई महान !!

सहना पड़ा कभी द्यूतक्रीड़ा में अपमान,कभी बुर्के में बनी उपभोग का सामान !

परन्तु गर्व है भारत में रक्षाबंधन,भैयादूज व यज्ञ में मिलता अपूर्व सम्मान ! 

जागो,उठो नारियो विश्व में जगाओ,"नारी सर्वत्र पूज्यन्ते" अभियान !!!!!!

********नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया-अमेरिका*********


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