गृहणी ?????(1)
आईये जाने गृहणी शब्द का क्या होता अभिप्राय या सार !
ग्रहणी शब्द का अर्थ है जिस का ऋणी होता समस्त परिवार !!
यदि करें विश्व के विद्वान पुरुष गंभीरता से गृहणी शब्द पे विचार !
जन्म लेकर से मृत्यु पर्यन्त नारी के हम पर हैं -अगणित उपकार !!
जन्म ले कर के बन जाती वह मातपिता की बिटिया प्यारी-प्यारी !
परन्तु शिक्षित हो कर बनना पड़ता किसी दूसरे परिवार की प्रभारी !! करना पड़ता अपने प्रिय मातापिता ,भाई-बहनों संबंधों का त्याग !
विवाह के उपरांत तो बिलकुल परिवर्तित हो जाते हैं उसके भाग !!
वहां मिलती हैं उसको कहीं पर स्वर्ग तो कहीं पर नर्क की झलक ! फिर माँ बनने पर उसमें उत्पन्न होती -मातृत्व वातसल्य अपलक !!
कभी बनी शापित अहिल्या पाषाण,कभी गांधारी आजीवन दृष्टि बलिदान !
कभी अपने साहस से रानी झाँसी लक्ष्मीबाई,तो कभी जीजाबाई महान !!
सहना पड़ा कभी द्यूतक्रीड़ा में अपमान,कभी बुर्के में बनी उपभोग का सामान !
परन्तु गर्व है भारत में रक्षाबंधन,भैयादूज व यज्ञ में मिलता अपूर्व सम्मान !
जागो,उठो नारियो विश्व में जगाओ,"नारी सर्वत्र पूज्यन्ते" अभियान !!!!!!
********नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया-अमेरिका*********
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