आत्म-रक्षा-(शस्त्र+शास्त्र)
भारत में शस्त्रों का ऐसे किया जाता था, आदिकाल में भी प्रयोग !
यज्ञ-मंडप में दैत्यों से सुरक्षा हेतु शस्त्रों का था संयोग !!
ऋषि विश्वामित्र की यज्ञ में दैत्यों से श्री राम द्वारा सुरक्षा !
दुष्ट शिशुपाल का नियमानुसार वध से श्री कृष्ण की शिक्षा !!
शिव भोलेनाथ ने भी किया,त्रिशूल का शांति हेतु प्रयोग !
इस प्रकार हमारे शास्त्र और शस्त्र हैं शन्ति-सुरक्षा का संयोग !!
वैसे भारतवर्ष कहलाता है विश्व में सत्य-अहिन्सा का पुजारी !
परन्तु सदा आत्मरक्षा हेतु भी रहती है, शस्त्रों की पूर्ण तैयारी !!
आत्मरक्षा हेतु शस्त्रों का प्रयोग भी रहता है सदा वांछनीय !
मानव जीवन में शस्त्र और शास्त्र दोनों ही हैं सम्माननीय !!
**नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया-अमेरिका**
No comments:
Post a Comment