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Monday, September 8, 2025

श्राद्ध - प्रक्रिया में सन्शोधन---नरेन्द्र चावला की रचना

         श्राद्ध -प्रक्रिया में संशोधन 

आधुनिक युग में भी निभा रहे,कुछ सज्जन लोग संस्कार।

 हिन्दू विक्रमी सम्वत से संबंधित , सभी वार - त्यौहार।। 

  लेकिन रखना चाहिए सामाजिक वातावरण का भी ध्यान। 

  वार-त्योहारों में करोगे निर्धन सेवा तो भगवान देंगे वरदान।। 

  अपने पूर्वजों की आत्मा,शांति हेतू , निस्संदेह मनाओ श्राद्ध।

   परन्तु कुछ आवश्यक निर्देश हैं , जिनको रखना याद।। 

    हमें पारम्परिक अंधानुकरण को ,धीरे-धीरे छोड़ना पड़ेगा। 

    अभावग्रस्त,ज़रूरतमंदों की मदद को रुख मोड़ना पड़ेगा।।

     आधुनिक पंडित निर्धन नहीं हैं ,अधिकतर हैं सम्पन्न।

     किसी दलित,कामगार को कुछ दोगे,तो वह होगा प्रसन्न।।

     स्कूली निर्धन बच्चों फीस,पुस्तकें,यूनिफार्म भी है उत्तम दान। 

     वृद्धाश्रम ,गऊशाला ,सैनिकसेवा या नारायण सेवा संस्थान।।

      ऐसे पुण्य कर्म करोगे तो दिवंगत आत्मायें देंगी वरदान। 

      श्राद्ध हो,कोई पुण्यतिथि या जन्मोत्स्व,खुश होंगे भगवान।।       ** नरेन्द्र चावला-भारत~अमेरिका**       

               

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