Search This Blog

Sunday, September 28, 2025

फर्श से अर्श ( धरती से अम्बर)--- नरेन्द्र चावला

  फर्श से अर्श (धरती से अम्बर)
देख लीजिये धरती से अम्बर अथवा फर्श से अर्श !
कभी खुशी कभी गम,कहीं विलाप तो कहीं हर्ष !
जन्म से मृत्यु तक जीवन में है संघर्ष ही संघर्ष !!!

मानव-जीवन में बचपन,जवानी फिर वृद्धावस्था !
भुगतता है इंसान जैसे धूप - छांव की अवस्था !! 
जीवन के रूप कभी रोकर,कभी रह कर सहर्ष !!!

सुखी जीवन का केवल एक ही उपाय रखिये !
खुशी बाँटिये और खुद को भी सदा खुश रखिये !!
मुस्कुराकर बिताइये,हर दिन,हर सप्ताह हर वर्ष !!!

हंस-हंस कर बोलिये , मत कीजिये रोगों की बात !
योगप्राणायाम करोगे तो होगी खुशियों की बरसात !! 
सजधज के रहो,हॉबी भी रखो,मिले आनद-उत्कर्ष !!!

नाचो-गाओ,थोड़ा खाओ,खेलो बच्चों व दोस्तों के संग!
देखिये कॉमेडी सीरियल , वस्त्र पहनिए रंग-बिरंग !!
वर्ना बुढ़ापा तो है कूड़ा,रखो सकारात्मक विचार विमर्श!!

********नरेन्द्र कुमार चावला-गुरुग्राम-भारत *********        

 
  

Wednesday, September 10, 2025

पति पत्नी व्यंग्य*** नरेन्द्र चावला

     पति-पत्नी नोकझोंक (व्यंग्य) 

जब पत्नी के रूठने पर पति ने बनाये पकवान !

 देखिये क्या अद्भुत निकला इसका परिणाम !!

पति ने बनाया था चटनी वाला सेंडविच निराला !

चाय के संग जब बेटे ने खाया पहला ही निवाला !

एकदम उल्टी हो गई,माँ ने आकर तुरत उसे संभाला !

अरे,ये तो मेंहदी मैंने अपने बालों के लिए भिगाई थी !

जो तेरे पापा ने सेंडविच में चटनी समझ संजोयी थी !! 

उधर रसोई घर में बर्तनों का निकला पूरा दीवाला था !

इधर पतिदेव का मुरझाया हुआ चेहरा देखने वाला था !!

सही कहा गया है, "जिस का काम उसी को साजे " !

 नरेन्द्र चावला कहे "कोई और करे तो लाठी बाजे "!!

********नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया-अमेरिका********




Monday, September 8, 2025

श्राद्ध - प्रक्रिया में सन्शोधन---नरेन्द्र चावला की रचना

         श्राद्ध -प्रक्रिया में संशोधन 

आधुनिक युग में भी निभा रहे,कुछ सज्जन लोग संस्कार।

 हिन्दू विक्रमी सम्वत से संबंधित , सभी वार - त्यौहार।। 

  लेकिन रखना चाहिए सामाजिक वातावरण का भी ध्यान। 

  वार-त्योहारों में करोगे निर्धन सेवा तो भगवान देंगे वरदान।। 

  अपने पूर्वजों की आत्मा,शांति हेतू , निस्संदेह मनाओ श्राद्ध।

   परन्तु कुछ आवश्यक निर्देश हैं , जिनको रखना याद।। 

    हमें पारम्परिक अंधानुकरण को ,धीरे-धीरे छोड़ना पड़ेगा। 

    अभावग्रस्त,ज़रूरतमंदों की मदद को रुख मोड़ना पड़ेगा।।

     आधुनिक पंडित निर्धन नहीं हैं ,अधिकतर हैं सम्पन्न।

     किसी दलित,कामगार को कुछ दोगे,तो वह होगा प्रसन्न।।

     स्कूली निर्धन बच्चों फीस,पुस्तकें,यूनिफार्म भी है उत्तम दान। 

     वृद्धाश्रम ,गऊशाला ,सैनिकसेवा या नारायण सेवा संस्थान।।

      ऐसे पुण्य कर्म करोगे तो दिवंगत आत्मायें देंगी वरदान। 

      श्राद्ध हो,कोई पुण्यतिथि या जन्मोत्स्व,खुश होंगे भगवान।।       ** नरेन्द्र चावला-भारत~अमेरिका**       

               

Wednesday, September 3, 2025

पालतू जानवर***नरेन्द्र चावला

                   पालतू जानवर
आज हमारे समाज में हो रहे हैं नित्यप्रति अद्भुत बदलाव !
मानव-सम्बन्धों में कमी हो रही,जानवरों संग अधिक लगाव !!
हम पालते जा रहे हैं बहुमूल्य कुत्ते , बिल्लियां और परिंदे !
कभी सीखो इन बेज़ुबानों से वफादारी व बनो सच्चे वाशिंदे !!
ये सभी जानवर भोजन करते अपना-अपना,दूजे का नहीं खाते। 
जल्दी सोना,जल्दी जगना,बीमारी व रात में कभी कुछ न खाते।।
निस्स्वार्थ भाव व प्रेम-प्यार से , तिनकों से घौंसला स्वयं बनाएं।
धीरे-धीरे प्यार से चलना,उड़ना फिर खाना बच्चों को खिलाएं।।
प्राय:मालिक या नौकर सड़कों पे सैर करवाते,इनको सुबह-शाम। 
विभिन्न नस्लों के आकर्षक कुत्ते-बिल्लियां, हज़ारों-लाखों में हैं दाम।। 
अब तो इन पालतू जानवरों की हो चुकी है , लाखों में तादाद। 
एक हाथ में प्यारा कुत्ता,दूजे में मोबाईल,बच्चो की ज़िंदगी बर्बाद।।
लज्जा आती कहने में भी, हम सीखें इनसे रहन-सहन व वफ़ादारी ।
कभी मानव इनको है पालता, तो कभी बन जाता इनका मांसाहारी।।
नरेन्द्र चावला वरिष्ठ नागरिक की करबद्ध समाज से है पुकार। 
पालें इनको प्यार से नियमानुसार,पर न हो वृद्धों/बच्चो का तिरस्कार।।
***नरेन्द्र चावला-भारत*अमेरिका***      

       

Monday, September 1, 2025

हमारी शिक्षक परिस्थितियां हमारी,**नरेन्द्र चावला

             वेदों से शिक्षा 

      हमको बहुत कुछ सिखाया ज़िंदगी ने अनजाने में। 

                 वो किताबों में नहीं था,जो सबक पढ़ा ज़माने में !!

            सर्वोत्तम पुस्तकें हैं वेद,पुराण,गीता,मानस प्यारी!

            और सर्वोत्तम शिक्षक हैं परिस्थितियां हमारी !!

             प्रमाणित उत्तम उपदेशक हैं - चारों वेद हमारे !

             जीवन में प्रभु सच्चे सहयोगी व मित्र हैं हमारे !!

             भारत के सम्मानीय प्राचीन धरोहर हैं वेद पुराण !

             अध्ययन/पालन करे तो बन सकता है सच्चा इंसान !!

 **नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया-अमेरिका**   

                      

शिक्षक***नरेन्द्र चावला

                                          शिक्षक 

       ऐसा होता है जीवन में,एक आदर्श शिक्षक का प्रभाव !

       जब कुछ प्रशंसनीय छात्र ,भरते हैं किसी के अभाव !!

        जब वे करते हैं किसी पीड़ित व्यक्ति की निशुल्क सेवा।

        ऐसे होनहार छात्र जीवन में,अवश्य पाते हैं प्रभु से मेवा !!

               एक माल्यापुरम केरळ की घटना ने था मुझे हिला दिया !

               किसीने अध्यापिका को बहिष्कृत भिखारिन बना दिया।

              रेलवे स्टेशन के बाहर एक छात्र ने उसे भीख मांगते देखा !

           गौर से पहचाना अपनी शिक्षक को,जिसे सब कर रहे थे अनदेखा!

      उसने अपने मित्रों को तुरन्त वहां पर बलाया। 

फिर अपने घर ले जाकर वस्त्र दिए और खाना खिलाया ! 

और फिर किसी अच्छे विद्यालय में नौकरी दिलवाई। 

ऐसे आदर्श छात्रों को,नरेन्द्र चावला शिक्षक की हार्दिक बधाई।।

इसी को कहते हैं पढ़ना-गुड़ना , किसी असहाय के घाव भरना।                       केवल डिग्रियां प्राप्त करके भाता है   सब को अपना ही पेट भरना।

         असली पढ़ाई तो होती है किसी असमर्थ,अपाहिज के काम आना। 

        डॉक्टर,वकील,इंजीनीयर बनकर सभी चाहते हैं सिर्फ पैसा कमाना।।       

**नरेन्द्र चावला*वर्जीनिया*अमेरिका*