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Wednesday, September 3, 2025

पालतू जानवर***नरेन्द्र चावला

                   पालतू जानवर
आज हमारे समाज में हो रहे हैं नित्यप्रति अद्भुत बदलाव !
मानव-सम्बन्धों में कमी हो रही,जानवरों संग अधिक लगाव !!
हम पालते जा रहे हैं बहुमूल्य कुत्ते , बिल्लियां और परिंदे !
कभी सीखो इन बेज़ुबानों से वफादारी व बनो सच्चे वाशिंदे !!
ये सभी जानवर भोजन करते अपना-अपना,दूजे का नहीं खाते। 
जल्दी सोना,जल्दी जगना,बीमारी व रात में कभी कुछ न खाते।।
निस्स्वार्थ भाव व प्रेम-प्यार से , तिनकों से घौंसला स्वयं बनाएं।
धीरे-धीरे प्यार से चलना,उड़ना फिर खाना बच्चों को खिलाएं।।
प्राय:मालिक या नौकर सड़कों पे सैर करवाते,इनको सुबह-शाम। 
विभिन्न नस्लों के आकर्षक कुत्ते-बिल्लियां, हज़ारों-लाखों में हैं दाम।। 
अब तो इन पालतू जानवरों की हो चुकी है , लाखों में तादाद। 
एक हाथ में प्यारा कुत्ता,दूजे में मोबाईल,बच्चो की ज़िंदगी बर्बाद।।
लज्जा आती कहने में भी, हम सीखें इनसे रहन-सहन व वफ़ादारी ।
कभी मानव इनको है पालता, तो कभी बन जाता इनका मांसाहारी।।
नरेन्द्र चावला वरिष्ठ नागरिक की करबद्ध समाज से है पुकार। 
पालें इनको प्यार से नियमानुसार,पर न हो वृद्धों/बच्चो का तिरस्कार।।
***नरेन्द्र चावला-भारत*अमेरिका***      

       

Monday, September 1, 2025

हमारी शिक्षक परिस्थितियां हमारी,**नरेन्द्र चावला

             वेदों से शिक्षा 

      हमको बहुत कुछ सिखाया ज़िंदगी ने अनजाने में। 

                 वो किताबों में नहीं था,जो सबक पढ़ा ज़माने में !!

            सर्वोत्तम पुस्तकें हैं वेद,पुराण,गीता,मानस प्यारी!

            और सर्वोत्तम शिक्षक हैं परिस्थितियां हमारी !!

             प्रमाणित उत्तम उपदेशक हैं - चारों वेद हमारे !

             जीवन में प्रभु सच्चे सहयोगी व मित्र हैं हमारे !!

             भारत के सम्मानीय प्राचीन धरोहर हैं वेद पुराण !

             अध्ययन/पालन करे तो बन सकता है सच्चा इंसान !!

 **नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया-अमेरिका**   

                      

शिक्षक***नरेन्द्र चावला

                                          शिक्षक 

       ऐसा होता है जीवन में,एक आदर्श शिक्षक का प्रभाव !

       जब कुछ प्रशंसनीय छात्र ,भरते हैं किसी के अभाव !!

        जब वे करते हैं किसी पीड़ित व्यक्ति की निशुल्क सेवा।

        ऐसे होनहार छात्र जीवन में,अवश्य पाते हैं प्रभु से मेवा !!

               एक माल्यापुरम केरळ की घटना ने था मुझे हिला दिया !

               किसीने अध्यापिका को बहिष्कृत भिखारिन बना दिया।

              रेलवे स्टेशन के बाहर एक छात्र ने उसे भीख मांगते देखा !

           गौर से पहचाना अपनी शिक्षक को,जिसे सब कर रहे थे अनदेखा!

      उसने अपने मित्रों को तुरन्त वहां पर बलाया। 

फिर अपने घर ले जाकर वस्त्र दिए और खाना खिलाया ! 

और फिर किसी अच्छे विद्यालय में नौकरी दिलवाई। 

ऐसे आदर्श छात्रों को,नरेन्द्र चावला शिक्षक की हार्दिक बधाई।।

इसी को कहते हैं पढ़ना-गुड़ना , किसी असहाय के घाव भरना।                       केवल डिग्रियां प्राप्त करके भाता है   सब को अपना ही पेट भरना।

         असली पढ़ाई तो होती है किसी असमर्थ,अपाहिज के काम आना। 

        डॉक्टर,वकील,इंजीनीयर बनकर सभी चाहते हैं सिर्फ पैसा कमाना।।       

**नरेन्द्र चावला*वर्जीनिया*अमेरिका*