स्वर्ण अक्षरों में लिखी हैं,इतिहास में कहानियां।।
जालिमों के जुल्मों ने कर दी थी सीमाएं पार।
तब भी कमजोर न हुआ, शहीदों का स्वदेश प्यार।
चिनवाए गए दीवारों में बेटे,लुट गई जवानियां।।अमर हैं,,
तपते हुए तवों पर जालिमों ने बिठाया था।
गरम गरम रेत से , देश भक्तों को नहलाया था।
धर्म रक्षा हेतु प्राण त्यागे, कसमें निभाईयां।।अमर हैं,,,,,
राजगुरु,सुखदेवभगतसिंह,श्रद्धानंद,दयानंद,हकीकतराय।
भाई मतिदास,जतिदास गुरु तेगबहादुर ने नहीं करी हाय।
सच्चे देशभक्त वीर छोड़ गए केवल निशानियां।।अमर हैं,,
वैसाखी का था दिन,अमृतसर जलियांवाला कर लो याद।
सरेआम निहत्थे मारे जनरल डायर बन गया था जल्लाद।
ऊधमसिंह ने कुर्बान होकर छोड़ी निशानियां।।अमर है ,,,
भूलते नहीं कभी महात्मागांधी लालबहादुर के बलिदान। इंदिरा गांधी था राजीव गांधी ने त्यागे देश हित में प्राण।
अनेक सैनिकों बेनाम शहीदों की अमर कुर्बानियां।।अमर,
आज करो सभी मिलकर प्रण,जग से आतंक हटाएंगे।
फिर आएंगी अवश्य एक दिन घड़ी सुहानियां।।
अमर हैं हमेशा जग में,हिंदुस्तान की कुर्बानियां।।
***नरेन्द्र चावला*वर्जीनिया*अमेरिका***
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