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Wednesday, January 29, 2025

अभिलाषा*** नरेन्द्र चावला

                     आशा/अभिलाषा  

       मानव की आशा तथा अभिलाषा सदा रहती हैं अनंत। 

        सदैव जन्म से ले कर मृत्यु पर्यन्त।।  

   जीवनभर भले ही मिले आशा अथवा निराशा।

परन्तु निरंतर सजीव रहती है हमारी अभिलाषा।।

 जैसे - जैसे पूर्ण हो जाती हैं हमारी अनिवार्यताएँ । 

 तुरंत चहुँ ओर से घेर लेती हैं हम को विलसितायें।।

तत्पश्चात उत्पन्न होने लगता है हमारे भीतर अहंकार। 

तथा उस पर छाने लगता है-स्वार्थ का अन्धकार।। 

दूसरों के सुख देख-देख कर ईर्षा हो जाती है प्रबल। 

किसी भी प्रकार अपनी अभिलाषा को करते हैं सफल।।

अंत में हो जाता है एक दिन,दूध का दूध-पानी का पानी। 

आशा तथा अभिलाषा में छिपी हैं हमारे कर्मों की यही कहानी।। 

****नरेन्द्र चावला**अमेरिका***** 

       

Monday, January 27, 2025

वार्तालाप ईश्वर और कुम्हार के बीच-- नरेन्द्र चावला की रचना

   पुतले-ईश्वर और कुम्हार के

 ये कैसी मोहमाया कहीं धूप तो कहीं छाया। 

प्राणी कभी धन दौलत तो कभी स्नेहबंधन में रहे भरमाया।।

स्वार्थ,अहम जब त्याग देंगे ,

तभी पाएंगे सुखशान्ति की छाया।।

         (वार्तालाप )                 एक बार ईश्वर और कुम्हार के बीच हुआ,विचित्र वार्तालाप। 

 दोनों ही हैं पुतला निर्माता ,सुनिये रोचक स्पष्टीकरण आप।! 

 कुम्हार बोला-"हे परमात्मा- हम दोनों ही तो पुतले बनाते हैं !

 मेरे पुतले शांत-निर्जीव व सजावटी हैं तथा पूजे भी जाते हैं।।

 और प्रभु आपके बनाये पुतले,परस्पर लड़ते व लड़वाते हैं"।।

ईश्वर-"मैंने तो मानव को मन-मस्तिष्क विशेष दिए थे अंग !

उसने स्वयं ही स्वार्थ,मोहमाया,अहंकार में उनको दिया रंग।।

अपने क्षणभंगुर जीवन के बारे में,सब भलीभांति जानते हैं। 

फिर भी इस मृगतृष्णा के पीछे निरंतर दिनरात भागते हैं।।

मेरे बनाये अहंकारी पुतले सुख में कभी नहीं करते मुझे याद!

केवल स्वयं ही करके कुकर्म,गलतियां,मुझे करते हैं फरियाद"!!

"हे कुम्हार-तू धन्य है,तेरे पुतलों के समक्ष,लोग सर झुकाते हैं। 

 जबकि मेरे पुतले मुझे रिझाने को,विभिन्न नाटक दिखलाते हैं "!! 

*********नरेन्द्र कुमार चावला -गुरुग्राम-भारत*********                     

Friday, January 17, 2025

कुर्बानियां*शहीदों को श्रद्धांजलि

 अमर हैं जग में,हिंदुस्तान की कुर्बानियां।
स्वर्ण अक्षरों में लिखी हैं,इतिहास में कहानियां।।
जालिमों के जुल्मों ने कर दी थी सीमाएं पार।
तब भी कमजोर न हुआ, शहीदों का स्वदेश प्यार।
चिनवाए गए दीवारों में बेटे,लुट गई जवानियां।।अमर हैं,,
तपते हुए तवों पर जालिमों ने बिठाया था।
गरम गरम रेत से , देश भक्तों को नहलाया था।
धर्म रक्षा हेतु प्राण त्यागे, कसमें निभाईयां।।अमर हैं,,,,,  
राजगुरु,सुखदेवभगतसिंह,श्रद्धानंद,दयानंद,हकीकतराय।
भाई मतिदास,जतिदास गुरु तेगबहादुर ने नहीं करी हाय।
सच्चे देशभक्त वीर छोड़ गए केवल निशानियां।।अमर हैं,,
वैसाखी का था दिन,अमृतसर जलियांवाला कर लो याद।
सरेआम निहत्थे मारे जनरल डायर बन गया था जल्लाद।
ऊधमसिंह ने कुर्बान होकर छोड़ी निशानियां।।अमर है ,,,
भूलते नहीं कभी महात्मागांधी लालबहादुर के बलिदान।                                             इंदिरा गांधी था राजीव गांधी ने त्यागे देश हित में प्राण।
अनेक सैनिकों बेनाम शहीदों की अमर कुर्बानियां।।अमर,
आज करो सभी मिलकर प्रण,जग से आतंक हटाएंगे।
फिर आएंगी अवश्य एक दिन घड़ी सुहानियां।।
अमर हैं हमेशा जग में,हिंदुस्तान की कुर्बानियां।।
***नरेन्द्र चावला*वर्जीनिया*अमेरिका***


Friday, January 10, 2025

लोहड़ी+पोंगल+मकर संक्रांति***नरेन्द्र चावला

         लोहड़ी+पोंगल+मकर संक्रांति 

         हमको भारतीय होने पर गर्व होता है बार -बार। 

       लोहड़ी,पोंगल,मकर संक्रांति एक साथ त्यौहार।।

     ऋतु परिवर्तन तथा फसलें हैं इनका आधार।

     माघ महीने का आरंभ तथा पतंगों की बहार।।

         उत्तरी भारत में लोहड़ी,दक्षिण में पोंगल होता। 

          मकर संक्रांति दोनों के संग धूमधाम से होता।।

                         लोहड़ी 

           प्राचीन प्रथानुसार बच्चे घर-घर ख़ुशी से जाते। 

            गीत गाकर लकड़ी,उपले,फुल्ले,गुड़,पैसे लाते।।

           रात को आग जलाकर चारों ओर सब नाचते गाते। 

           शादी व बच्चे की पहली लोहड़ी खुशियों संग मनाते।।

                         प्रसिद्द लोहड़ी गीत 

                सुन्दर मुंदरिये हो -- तेरा कौन विचारा। 

                दुल्ला भट्ठी वाला हो-दुल्ले दी धी व्याई। 

   सेर शक्कर पाई हो-  कुड़ी दे बोझे पाई।   कुड़ी दा सालू पाटा।शक्कर कौन समेटे। चाचा गाली देसे हो - चाचे चूरी कुट्टी। 

 ज़िम्मीदारां लुट्टी हो-ज़िम्मीदार सदाए। 

गिन-गिन पोले लाये हो-इक पोला रहगया। सिपाई फड़ के लै गया,सिपाई ने मारी इट  ,भांवें रो ते भंवें पिट।।

       **** टप्पे****

  तिल,मूंगफली,गुड़,रयोडियां।            रब्बा अरदास साडी-

   धीयाँ -पुत्तां दियां मनाओ लोहड़ियाँ।।

   मोह धीयां दा विसारो ना ----

रब दियां रहमतां नू**लोको कुक्ख विच मारो ना।!

       सानू दयो लोहड़ी- तेरी जीवे जोड़ी।। साडे पैरां हेठ रोड़ !

  सानू छेती-छेती टोर!! साडे

पैरां हेठ स्लाईंयां -असी कड़े वेले दियां आईंयां।।

       हिल्लो नी माई हिल्लो ना! सौ रुपय्ये बिना हिल्लो ना।

      ( कुछ न मिलने पर ) -हुक्के उत्ते हुक्का। ऐ घर भुक्खा।।

अन्य गीत--2- हुल्ले नी माय हुल्ले - दो बेरी पत्तर झुल्ले --

दो झुल पयियां खजूरां।

खजूरां सट्टया मेवा। एस मुंडे दा करो मंगेवा। एस मुंडे दी वोटी

निकली।घयो खांदी चूरी कुट्टदी।

कुट कूट भरया थाल। वोटी बवे

ननाना नाल। दो ननाना, इक भरजाई, मैं वोटी वेखन आई।

दे माई लोहड़ी, जीवे तेरी जोड़ी।

***।                                         Boys Song

  3--- वंजलि मारो वंजलि -वंजलि छड्डियां लम्मियाँ। 

               मीं वस्से ते कंकणा जम्मियाँ। कणकाँ हेठ बटेरे ------

4 ---- आखो मुंडयो ताना -ताना !बाग़ तमाशे जाना -- ताना !

           बागों मेनू कौड़ी लब्बी!कौड़ी दा मैं घा ल्यांदा। 

            घा मैं गऊ नू दित्ता ! दूध दी मैं खीर बनाई --

*******संकलन कर्ता --- नरेन्द्र चावला -अमेरिका************