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Friday, October 18, 2024

करवा चौथ पर पतियों की कामना (Karwa Chauth)

       करवा चौथ पर पतियों की कामना 
  करवा-चौथ का अनुपम त्यौहार। पति हेतु पत्नी का प्यार।।
   व्रत से करती न्योछावरतन-मन!हार्दिक स्नेहमय समर्पण।।
   सजधज पूजा थाली घुमाए। चमक - दमक में वह मुस्काये।।
  चन्द्र,पति मुख दर्शन करती।सुखी-दाम्पत्य की कामना करती।।

                         हमारा भी है कुछ अधिकार।पतियों कर लो ज़रा विचार।।     
                        परमेश्वर से हैअर्ज़ हमारी।चिरायु,सुखी रहे जोड़ी यह प्यारी।।
                        अपनों को यह तज कर आती। दूजे परिवार को है चमकती।।
                        मिले यदि इन्हें सब दिलों का प्यार। पनपेंगे संयुक्त- परिवार।।

    घर की धुरी है यह बन जाती। सामंजस्य से स्वर्ग बनाती।।
    कभी भी इन पर कष्ट न आएं।हरदम हम पर जान लुटाएं।।    
   पत्नी के दिल,आँखों में आदर-प्यार।इसके सम नहीं कोई श्रृंगार।।
  आजीवन सुपत्नी का हो साथ। कृपा-पूर्ण ईश्वर का सुरक्षा -हाथ।।      

====== नरेन्द्र चावला की करवाचौथ पर भेंट======== =================

Sunday, October 13, 2024

रावण के मुख से (दशहरा) (Rawan Ke Mukh Se)

रावण के मुख से ( दशहरा )

सदियाँ बीती मुझे जलाते , जन -जन को लीला दिखलाते !
राम -रावण युद्ध दिखाते , लकीर हर वर्ष पीटते जाते !!
किंतु कभी क्या मन में आया , क्या खोया और क्या है पाया !
अगणित रावण घूम रहे हैं , व्यभिचारी हो झूम रहे हैं !
मैंने सीता को आदर से रखा ,कभी बदन पर हाथ न रखा !
आज के रावण ने बहिन बेटी को ,भोग विलास का केन्द्र बनाया !
आतंक -वाद व् भ्रष्टाचार ने , क्यों है आज फन फैलाया !!
स्कूल -कालिज ,दफ्तर,सड़कों पर , गुंडा -गर्दी बढती जाती !
रामलीला या कृष्ण लीला हो, राजनीति से भरती जाती !!
नहीं मरेगा रावण तब तक , जब तक राम को न अपनाया !
तुंरत हो दण्डित भ्रष्टाचारी ,दोषी नेता या बलात्कारी !
क्या होगा पुतले जाने से , रावण -मन जब तक न जलाया !!

---------- नरेंद्र कुमार चावला - वर्जिनिया ,अमेरिका

Saturday, October 5, 2024

पतझड़*** नरेन्द्र चावला

                 पतझड़ भी है सुंदरता

जैसे-जैसे मैं देख रहा हूँ , प्रतिवर्ष की भांति पतझड़ !

मन-मस्तिष्क ने फिर पाई है ,काव्य रचना की पकड़ !!

कितना सुन्दर लगता लाल,पीले सूखे पत्तों का बिछौना !

सत्य है हम सभी जीव हैं ईश्वर के हाथों का  खिलौना !! 

न केवल पेड़-पौधों पर ही ये पतझड़ का मौसम आता है !

ये परिवर्तन तो विश्व के प्रत्येक प्राणी के जीवन में आता है !! 

कुछ लोग इस परिवर्तन को कहते हैं मानव की वृद्धावस्था !

स्थायी नहीं ये , इसके बाद आएगी बसन्त बहार की सुंदरता !!

देखना कितने सुन्दर,मनोरम कलियाँ,पत्ते व पुष्प आएंगे।हम सबका और अपना जीवन सौम्य व सफल बनाएंगे।।

नरेन्द्र चावला कहे,पतझड़ क्या हर मौसम होता है बहुत सुहावना ! 

सकारात्मक दृष्टि से देखने की होनी चाहिए,केवल हमारी भावना !!

*******नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया-अमेरिका*******