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Saturday, November 30, 2024

आंसुओं की कहानी***नरेन्द्र चावला

         विरह (आंसू की कहानी )

इस संसार में किसी के आंसू होते है दिल की ज़ुबान !

कभी-कभी यही आंसू बन जाते हैं ,विरहन के विरह-प्रमाण !! 

कोई यहां पर आंसू न बहा कर अपने दुःख-दर्द छिपाता है !

मगर देखने वालों को उसका चेहरा सबकुछ बतलाता है !!

किसी-किसी के आंसू सूख जाते परन्तु फिर भी रुकते नहीं !

अक्सर गरीब के आंसुओं के आगे ,निर्मम दिल पिघलते नहीं !!

किसी=किसी के आंसू बह-बह कर बन जाते है एक सैलाब !

यही आंसू कभी खुशियां दर्शाते तो कभी बनते गमों के ख्वाब !!

अक्सर कुछ लोग अश्रु धार छिपा कर निरंतर मुस्कुराते हैं !

जबकि नकली स्वार्थी लोग सदा मगरमच्छ के आंसू बहाते हैं !!

********नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया-अमेरिका*********

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