विरह (आंसू की कहानी )
इस संसार में किसी के आंसू होते है दिल की ज़ुबान !
कभी-कभी यही आंसू बन जाते हैं ,विरहन के विरह-प्रमाण !!
कोई यहां पर आंसू न बहा कर अपने दुःख-दर्द छिपाता है !
मगर देखने वालों को उसका चेहरा सबकुछ बतलाता है !!
किसी-किसी के आंसू सूख जाते परन्तु फिर भी रुकते नहीं !
अक्सर गरीब के आंसुओं के आगे ,निर्मम दिल पिघलते नहीं !!
किसी=किसी के आंसू बह-बह कर बन जाते है एक सैलाब !
यही आंसू कभी खुशियां दर्शाते तो कभी बनते गमों के ख्वाब !!
अक्सर कुछ लोग अश्रु धार छिपा कर निरंतर मुस्कुराते हैं !
जबकि नकली स्वार्थी लोग सदा मगरमच्छ के आंसू बहाते हैं !!
********नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया-अमेरिका*********
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