क्या होता प्रेम का बंधन
कहावत है युद्ध और प्रेम में सब कुछ जायज़ है चलता !
परन्तु भारतीय संस्कृति में ऐसा बिलकुल नहीं चलता !।
सच्चे प्रेम में तो होता है, तन मन धन का अर्पण।
वही कहलाता है वास्तविक प्रेम बंधन।।
हमारी संस्कृति में एक नियमावली अब तक होती है !
तथा हमारी संस्कृति में प्रेम में भी एक मर्यादा होती है !
हमारे देश में प्रेम के आधार होते हैं, त्याग और बलिदान !
और युद्ध के भी नियम होते थे , ऐतिहासिक हैं प्रमाण !!
युद्धों में किसी असहाय तथा निशस्त्र पर नहीं करते थे वार !
अस्पतालों तथा विद्यालयों पर भी नहीं हो सकता था प्रहार !!
प्रेम में दिखावटी प्रणय करके ,नहीं होते थे धोखे और हत्याएं !
कभी नहीं हुए सम्बन्ध-विच्छेद ,दूर रहकर भी प्रेम गए निभाय !!
गलत साबित हो रहा आजकल , धर्मांतरण का ले के सहारा !
गलत साबित हो गया,"इश्क़ और जंग में होता सबकुछ गंवारा" !!
***********नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया -अमेरिका *************
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