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Saturday, November 2, 2019

भारतीय संस्कार ( Social Awareness )

            भारतीय संस्कार
   ( Social Awareness ) 

धीरे-धीरे मेरा भारत देश कर रहा है प्रगति लगातार। 
लेकिन हो रही है विसंगति ,छूटते जा रहे हैं संस्कार।।
आज के युवा इंजीनियर,डॉक्टर,MBA     CA बनते जारहे हैं।
लेकिन अपनी सभ्यता ,संस्कृति,परम्परायें भूलते जारहे हैं।।
आज कोई नहीं जानता,भारतीय वीरों की साहसिक कहानियां। 
धर्म,मर्यादा,आदर-सत्कार ,सब मिटती जा रही हैं निशानियां।।
हिन्दी से भाग रहे हैं दूर ,अपने स्वदेशी त्यौहार हो रहे चकनाचूर।
विदेशी नकल करो बेशक पर,अपना अस्तित्व जीवित रखना ज़रूर।। दीवाली,होली,रक्षाबंधन,भैयादूज,तीज, करवाचौथ रखो बरकरार।                  युवा बच्चों में बढ़ाओ अपनी परम्पराओं का ज्ञान से अटूट प्यार।।                  सभी रिश्ते-नाते दादके-नानके से बनाये रखिये संबंध अपार।
तभी जीवित रहेंगे भारतीय-संस्कार,    जब रहेंगे संयुक्त परिवार।।                वर्ना हो जायेगी शून्य एक दिन -----भारतीयता की अमर शान।              किसी को याद नहीं रहेगा,नानक, बुद्ध,राम,कृष्ण का हिंदुस्तान।।       *नरेन्द्र चावला*भारत*अमेरिका* 
             
  

Thursday, September 26, 2019

परिवर्तन ही जीवन है !!! ( Philosophy of Life )

            परिवर्तन ही जीवन है !!!
               ( Philosophy of Life ) 

   परिवर्तन ही जीवन है----- और जीवन भी है परिवर्तन ।
   गति समय की चले निरंतर,सुख-दुःख का होता आवर्तन।।

    ऋतुऐं बदल-बदल कर आती,अपना-अपना रंग दिखाती। 
    शीत,ग्रीष्म तथा बरसात, हेमंत, शिशिर ,पतझड़ की रात।       प्रकृति के सब जीवों हेतु,अत्यावश्यक है ऋतु-आवागमन।।----

     जन्म-मरण का है यह धोखा, प्रवाह कभी न जाए रोका। 
     जिसे समझते है हम अंत, परिवर्तित रूप का है वह तंत। 
  योगी-ज्ञानी सभी जानते , करके सच्चा सुमिरन - चिंतन।।---

      बीज से तरू ,तरु से पात,परिवर्तन फल-फूल सौगात। 
      फल से पुन; दोहराया जाता,परिवर्तन का रिश्ता-नाता।जीवन का दर्शन है यारो,सृजन-विसर्जन,सृजन-विसर्जन।।----

**नरेन्द्र चावला *भारत*अमेरिका**         

           

Wednesday, March 20, 2019

होली - भारतवर्ष 2019

        होली-भारत का अनुपम उत्सव
   आज होली के रंगों में , तभी वास्तविक परमानंद आएगा।
    जब मानव हृदय में द्वेष-भाव त्याग कर ,प्रेमभाव समायेगा।।
 जब वृन्दावन की कुञ्ज-गलिन में,गूंजेगी "राधे-राधे"की            सुमधुर आवाज़।
  दर्शन होंगे बांके-बिहारी के, बजने लगेंगे दिलों में मुरली             की धुन पर साज़।।

   ब्रज-भूमि की रज के स्पर्श से , आएगा एक अनूठा आनंद।
    बरसाने की गोपियाँ जब , उड़ाएंगी अबीर - गुलाल के रंग।।

     नंदगांव की बढ़ेगी शोभा , जब-जब होगी लठ्ठ-मार होली।
     रसिक गोप - गोपियों की भर जाएगी , मन्नतों से झोली।।

     लोगों को करेगी आनंद - विभोर --- लडडू - होली।
     रंग लाएगी दिलों में,जब-जब होगी माखन-होली।।

    कहीं "राधे-राधे "तो कहीं "जयश्री कृष्णा"मधुर-ध्वनि से          छायेगी बहार।
      गोकुल-मथुरा , द्वारिकाधीश में  ही नहीं,समस्त भारत में          लुटेगा प्यार ही प्यार।।
    *******नरेन्द्र चावला*भारत*अमेरिका*******