Poems - Narender Kumar Chawla's Blog
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Wednesday, September 3, 2025
पालतू जानवर***नरेन्द्र चावला
Monday, September 1, 2025
हमारी शिक्षक परिस्थितियां हमारी,**नरेन्द्र चावला
वेदों से शिक्षा
हमको बहुत कुछ सिखाया ज़िंदगी ने अनजाने में।
वो किताबों में नहीं था,जो सबक पढ़ा ज़माने में !!
सर्वोत्तम पुस्तकें हैं वेद,पुराण,गीता,मानस प्यारी!
और सर्वोत्तम शिक्षक हैं परिस्थितियां हमारी !!
प्रमाणित उत्तम उपदेशक हैं - चारों वेद हमारे !
जीवन में प्रभु सच्चे सहयोगी व मित्र हैं हमारे !!
भारत के सम्मानीय प्राचीन धरोहर हैं वेद पुराण !
अध्ययन/पालन करे तो बन सकता है सच्चा इंसान !!
**नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया-अमेरिका**
शिक्षक***नरेन्द्र चावला
शिक्षक
ऐसा होता है जीवन में,एक आदर्श शिक्षक का प्रभाव !
जब कुछ प्रशंसनीय छात्र ,भरते हैं किसी के अभाव !!
जब वे करते हैं किसी पीड़ित व्यक्ति की निशुल्क सेवा।
ऐसे होनहार छात्र जीवन में,अवश्य पाते हैं प्रभु से मेवा !!
एक माल्यापुरम केरळ की घटना ने था मुझे हिला दिया !
किसीने अध्यापिका को बहिष्कृत भिखारिन बना दिया।
रेलवे स्टेशन के बाहर एक छात्र ने उसे भीख मांगते देखा !
गौर से पहचाना अपनी शिक्षक को,जिसे सब कर रहे थे अनदेखा!
उसने अपने मित्रों को तुरन्त वहां पर बलाया।
फिर अपने घर ले जाकर वस्त्र दिए और खाना खिलाया !
और फिर किसी अच्छे विद्यालय में नौकरी दिलवाई।
ऐसे आदर्श छात्रों को,नरेन्द्र चावला शिक्षक की हार्दिक बधाई।।
इसी को कहते हैं पढ़ना-गुड़ना , किसी असहाय के घाव भरना। केवल डिग्रियां प्राप्त करके भाता है सब को अपना ही पेट भरना।
असली पढ़ाई तो होती है किसी असमर्थ,अपाहिज के काम आना।
डॉक्टर,वकील,इंजीनीयर बनकर सभी चाहते हैं सिर्फ पैसा कमाना।।
**नरेन्द्र चावला*वर्जीनिया*अमेरिका*
Sunday, August 31, 2025
यादें बचपन की*** नरेन्द्र चावला
यादें बचपन की
( नरेन्द्र कुमार चावला )
सन उन्नीस सौ पचास पचपन की -----------
यादें घिर आयी हैं फिर आज मेरे बचपन की।!
भारत-विभाजन ने खेला मेरे बचपन में खेल !
परन्तु इस परलय ने बढ़ाया,पारस्परिक मेल।।
बंटता था भाई-बहनों,पड़ोसी व दोस्तों में सच्चा प्यार।
माँ-बाप,दादा-दादी,नाना-नानी,मामा,चाचा का मिला दुलार।।
मेरा बचपन अमीरी के झूलों से धरती पर आ गिरा।
Imported खिलौनों से देसी खिलौनों में आ घिरा।।
और अब मिले ऐसे खेल,जिनसे हुआ में मित्रों से मेल।।
स्टापू खेलना व रस्सी कूदना,डंडे से पहिये चलाना।
गुल्ली-डंडा,धूप-छाँव,गुड्डे-गुड़िया,गीटे व पिट्ठू खेलना।।
पेड़ों की डालियों पर हँसते-मुस्काते हुए झूले झूलना।
आंधी आने पर भागकर अम्बियां ले कर आना,मुश्किल है भुलाना।।
सावन में पानी भरे गड्डों से मेंढ़कों की वो प्यारी टर्र-टर्र।
रात को घर से बाहर जाकर , खेलने से लगता था डर।!
दुःख-सुख में पड़ोसियों का वो अविस्मरणीय सहयोग।
कहाँ खो गए वे सब हितैषी तथा निस्वार्थी प्यारे लोग !!
अभावग्रस्त जीवन में भी बच्चों की इच्छा होती रही पूरी।
खाना-कपड़े,शिक्षा,कुछ मनोरंजन भी मिला , जो था जरूरी।।
दादी से कहानियां सुनना तथा साथ-साथ मंदिर,गुरुद्वारे जाना।
रविवारआर्यसमाज जाना,नहीं भूलता बिनाका गीतमाला ज़माना।।
अविस्मरणीय है वो बचपन,जिसमें खुशियां देते रहे मां-बाप।
आज रिश्ते-नाते दूर हो रहे,आर्थिक भूख बढ़ रही,समझे आप।!
और अब तो वरिष्ठ होकर लौट आया है अनोखा बचपन।
कविताएं लिखना, चित्रकारी तथा संगीत में गुजर रहा ये बचपन।।*नरेन्द्रचावला*भारत*अमेरिका*
Tuesday, July 29, 2025
उजाले ( दिवंगत आत्माओं के प्रति श्रद्धांजलि)-- नरेन्द्र चावला
उजाले
(दिवंगत आत्माओं के प्रति श्रद्धांजलि )
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो।
न जाने किस घड़ी ज़िंदगी ही शाम हो जाए !!
इस भावुक शेयर ने तो मुझे पूरा हिला दिया।
मेरी काव्य-रचना का एक सिलसिला बना दिया।।
केवल कुछ उजाले ही तो रह जाएंगी निशानियां।
हमारे अच्छे-बुरे कर्मों की ही ,बनेगी कहानियां।।
न दौलत ,न प्रापर्टी ,न कपड़े और न ही कारें।
दुनिया से कुछ भी नहीं जाने वाला साथ हमारे।।
सत्य है ज़िंदगी में हमें ऐसे उजाले छोड़ कर है जाना।
कि हमारे बाद कुछ प्यार से हमें याद करे ज़माना !!
***नरेंद्र चावला-भारत*अमेरिका***
Saturday, July 12, 2025
अध्यापनकाल की स्मृतियां***नरेन्द्र चावला
मेरी अध्यापन काल की स्मृतियाँ
आज अकस्मात उभर कर आई एक स्मृति रेखा !
जब मैंने अपने अध्यापनकाल के दृश्यों को देखा !!
कभी हुयी दिल्ली रामपुरा स्कूल की गर्व की बात !
जब अमेरिका में एक योग्य छात्र से हुयी मुलाकात !!
शायद यही होता है एक सेवामुक्त अध्यापक पुरुस्कार !
विख्यात कम्पनी में निदेशक अनिल जैन का आभार !!
जिसने 1986/88 में मेरे सहकर्मियों की याद दिलाई !
कल उन्हीं के सुपुत्र के विवाह निमंत्रण पर दी बधाई !!
जब एयरपोर्ट पर एक Mech,इंजीनियर ने किया प्रणाम!
मुझे पहचाना व बताया स्वीपर का पुत्र हूँ राज है नाम !!
फिर याद आये कुछ बेहद शरारती बच्चे,जो पढ़ाई में कमज़ोर !
ऐसे छात्र खेलों में और कक्षा में नियंत्रण करते थे पुरज़ोर !!
उस समय छात्र को दण्ड मिलने पर प्रसन्न होते थे अभिभावक !
और अनुशासन व्यवस्था भी चलती थी समुचित तथा व्यापक !!
मुझे गर्व होता है जब-जब देखता हूँ अपनी सेवानिवृति के चित्र !
अनुपम प्रसन्नता होती है देख कर उन निर्धन छात्रों के चरित्र !!
जब उन छात्रों ने किया था मेरा इतनी पुष्प मालाओं से सम्मान !
ईश्वर से विनती है हमारी नई पीढ़ी पर,सरकार दे अधिक ध्यान !!
शिक्षक दिवस पर होता है मन व्यथित देखकर हालात।
अपेक्षाकृत शिक्षकों के वेतन वृद्धि पर नहीं होती बात।।
कहने को तो छात्रों के भविष्य निर्माता कहलाते हैं।
परन्तु परिवार चलाने हेतु पार्टटाइम ट्यूशन पढ़ाते हैं।।
आज आधुनिक शिक्षा प्रणाली में अध्यापकों पर लगे हैं प्रतिबंध ! अभिभावक भी हैं विवश क्योंकि संयुक्त-परिवार प्रथा हो रही बंद !!
डाक्टर/इंजीनियर तो बन रहे परन्तु भूल गए,परम्परागत संस्कार !
नरेन्द्र चावला कहे अभी भी समय है संभालिये अब तो युवाशक्ति-प्रभार !!
*****नरेन्द्र चावला -वर्जीनिया-अमेरिका*****
Tuesday, July 8, 2025
खोया- पाया--- नरेन्द्र चावला
खोया पाया
जैसा भी बीज हम जीवन में बोते हैं।
वैसे ही कभी कुछ पाते,कभी कुछ खोते हैं
मिलते हैं हमें कभी दण्ड तो कभी पुरुस्कार ।
यही है हमारे कर्मों का खोया पाया चमत्कार।।
अपने कर्मों के जाल से हम,नहीं सकते निकल।
जन्म से मृत्यु तक हमें भोगना ही पड़ेगा फल !!
कभी अस्वस्थ होंगे तो कभी आर्थिक हानि का होगा सामना। कभी किसी को खोकर तो कभी खुशियों का दामन थामना।।
हमें सदा रहना चाहिए ईश्वर अल्लाह का शुक्रगुज़ार।
जो पाया और जो खोया,सब हमारे कर्मों का हैआधार।।
मैंने अपने शिक्षक-जीवन में पाए,आश्चर्यजनक पुरुस्कार।
जब-जब मिला दलित जाति के विद्यार्थियों से हार्दिक प्यार।।
जो अब अपने जीवन में एक प्रतिष्ठित पद पर हैं कार्यरत।
कुछ सरकारी स्कूल के बच्चों ने पाई विदेशों में महारत।।
केवल राष्ट्रीय पुरुस्कारों से ही नहीं होता मूल्यांकन हमारा।
वास्तविकता तो हमारे कर्म ही दिखाते हैं,पग-पग पे नज़ारा।।
मंदिर,मस्जिद,चर्च तथा गुरुद्वारों से ऊपर हैं हमारे करम। किसीअसहाय का सहारा बनोगे तो मिट जायेंगे सब भरम।।
जब-जब आती है ------- हमारे जीवन में समृद्धि।
समझ लीजिये आपके कर्मों के खाते में हुई है वृद्धि।।
जब भी आप से मिलके,किसी के चेहरे पे आये मुस्कुराहट।
समझ लेना ये सब भी है परमात्मा के वरदान की आहट।।
जो खोया है वह नहीं था आपका।
जो पाया हैं पुरस्कार है आपका।।
**नरेन्द्र चावला*अमेरिका**