पहचानो खुद को
ज्यों-ज्यों हम पर अभिमान होता जायेगा सवार !
पता नहीं चलेगा,जीवन में पड़ती जाएगी दरार !!
अहंकार के नशे में मस्त होकर हम झूलते जायेंगे !
रिश्ते-नाते भूलकर खुद को खुदा समझते जायेंगे !!
यदि इस बुरी दरार को शीघ्र समय पर नहीं सुधारा !
खुद ने खुद को नहीं संवारा,समझो खेल खत्म सारा!!
ज़िंदगी नही मिलेगी दोबारा,इसके दोषी सिर्फ तुम हो !
आपको बनाने-बिगाड़ने वाला,कोई और नहीं,खुद तुम हो !
पहचानो,खुद को गलतियों के ढेर में दफ़नाने वाले तुम हो !!
*********नरेन्द्र चावला-वर्जीनिया-अमेरिका***********
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