अमूल्य धरोहर तीन
जीवन में विशेष महत्व की , अमूल्य धरोहर तीन।
ईमानदारी से पालन करें , तो जीवन बने रंगीन।।
मिलते हैं जीवन में- एक ही बार,माँ-बाप तथा यौवन का प्यार।
समय ,मृत्यु और ग्राहक भी तीनों , आते हैं अचानक द्वार।।
निकलने के बाद नहीं लौटते,जीभ से वचन,धनुष से छूटे बाण। और कभी भी नहीं लौटते ---- देह से निकले प्राण।।
कुसंगति,स्वार्थ व् निन्दा से बचने का,प्रयास कीजिये सदा।
धन , नारी और भोजन पर अपने , रखिये हमेशा परदा।।
ईश्वर,विद्या और परिश्रम में हो प्रगति,यदि लगाएं तीनों में मन।
इन तीनों को कभी न भूलिए , कर्तव्य , बीमारी और ऋण।!
काम , क्रोध और लोभ पर , कीजिये सदॆव कंट्रोल।
विकलांग,भिखारी और बच्चों पर,दया के रखना बोल।।
याद रखिये----जीवन में बनना चाहें यदि महान।
मात-पिता व् गुरु-जनों का,हृदय से करना सम्मान।।
===नरेन्द्र चावला-गुडगाँव की एक और भेंट ======
जीवन में विशेष महत्व की , अमूल्य धरोहर तीन।
ईमानदारी से पालन करें , तो जीवन बने रंगीन।।
मिलते हैं जीवन में- एक ही बार,माँ-बाप तथा यौवन का प्यार।
समय ,मृत्यु और ग्राहक भी तीनों , आते हैं अचानक द्वार।।
निकलने के बाद नहीं लौटते,जीभ से वचन,धनुष से छूटे बाण। और कभी भी नहीं लौटते ---- देह से निकले प्राण।।
कुसंगति,स्वार्थ व् निन्दा से बचने का,प्रयास कीजिये सदा।
धन , नारी और भोजन पर अपने , रखिये हमेशा परदा।।
ईश्वर,विद्या और परिश्रम में हो प्रगति,यदि लगाएं तीनों में मन।
इन तीनों को कभी न भूलिए , कर्तव्य , बीमारी और ऋण।!
काम , क्रोध और लोभ पर , कीजिये सदॆव कंट्रोल।
विकलांग,भिखारी और बच्चों पर,दया के रखना बोल।।
याद रखिये----जीवन में बनना चाहें यदि महान।
मात-पिता व् गुरु-जनों का,हृदय से करना सम्मान।।
===नरेन्द्र चावला-गुडगाँव की एक और भेंट ======
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