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Tuesday, February 10, 2004

पर्यावरण प्रदूषण (Paryavaran Pradushan)


पर्यावरण प्रदूषण 
वायु में प्रदूषण, जल में प्रदूषण, 
मिट्टी में प्रदूषण, नभ में प्रदूषण!
उद्योग धंधो व सड़कों पर प्रदूषण,
प्रदूषण-प्रदूषण-प्रदूषण!!

चहुँ ओर छाया प्रदूषण का घोर अंधकार, 
शायद हम ही तो है, इस सबके जिम्मेदार!
प्रदूषण से ही पैदा होते तरह-तरह के रोग,
दिन प्रतिदिन मरते जा रहे सैकड़ों लोग!!

सब हमारी ही लापरवाही है, नहीं है संयोग,
यद्यपि विज्ञान बचाव हेतु कर रहा अनेकों प्रयोग!
प्रदूषण-मुक्त केवल तब ही होगा संसार,
जब हम सब मिलकर, स्वयं होंगे तैयार!!

व्यस्त महानगरों की जनता, गलती स्वयं है करती, 
डीजल वाहन शोर बढ़ाते, फैक्टरी धुआँ उगलती!
आम रास्ते पार्को को जनता, कचरे से हैं भरती, 
कुत्ते, सुअर, चील व गऊएं, कूड़े पर हैं चरती!!

गलती किसकी तरफ से होती, तनिक करो विचार।। 

घर और बाहर पेड़ लगाओ, करो सुबह की सैर, 
योग करो और थोड़ा खाओ, दूर करो सब बैर!
सहानुभूति और प्यार करो बस, अपना हो या गैर, 
अपना अपना ही मत सोचो, सब की मांगो खैर!!

परहित जैसा धर्म न कोई, ऐसा करो विचार,
निस्संदेह तभी बनेगा, स्वच्छ निरोग संसार! ।*।        ***नरेन्द्र चावला*** 


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