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Friday, March 27, 2020

घर को मत समझो जेल (Social Awareness)

   घर को मत समझो जेल 
    (Social Awareness)  
अब तो सब का जीवन,सुरक्षा हेतु रिटायर्ड लोगों जैसा होगया।  
आज परिवार का प्रत्येक सदस्य,अपने-अपने घर में बंद हो गया।अब कोरोना दानव शीघ्र मर जाएगा --------
लेकिन करवा दिया उसने आज,परिवारों में अटूट मेल।।
अत: अब घर को मत समझो जेल---------

घबराओ मत,अनेक तरीके हैं ,घर पर समय बिताने के। 
सब मिल बैठ कर खेलो ताश,कैरम ,लीडो,तम्बोला --
करो अंताक्षरी,संगीत,बागवानी आदि साधन हैं दिल बहलाने के।
नए-नए स्वादिष्ट व्यंजन बनाओऔर मिलकर खाओ।
दादा-दादी,पोते-पोतियों का हुआ है अनुपम मेल।।       
घर को मत समझो जेल--------------- 

आज सीख लो, कैसे होता है थोड़े में गुज़ारा। 
खुद काम करना पड़ा,किया नौकरों,मेड ने किया किनारा। 
घर को रिसेट करो,टी वी पर फिल्मों,न्यूज़ का लेलो सहारा।
सबको फोन द्वाराwhats app,chat तथा करो e.mail. !!
घर को मत समझो जेल ----------

घर में बैठकर नित्य प्रात: योग प्राणायाम करते जाओ। 
कोल्ड ड्रिंक छोड़ो, धो-धो कर फल-सब्ज़ियां खाओ। 
हाथ धोओ साबुन से अच्छे तरह बार-बार। 
सेनेटाईज़र और गिलोय का प्रयोग करो विधि अनुसार। 
नित्य ईशारधना से खत्म होगा,इस वैश्विक महामारी का खेल।।घर को मत समझो जेल -------------

आप घर में रहकर,ज़रा उनके बारे में भी तो करो विचार। 
स्वीपर, डॉक्टर ,नर्सें ,सप्लायर ,सैनिक तथा दुकानदार। 
जो सब हमारे लिए अपने को,खतरे में रहे धकेल।।
नरेन्द्र चावला कहे -- घर को मत समझो जेल --------

***नरेन्द्र चावला-भारत*अमेरिका***
 
            

      
       

Tuesday, February 18, 2020

वैदिक संस्कृति का अनुमोदन ( Life & Perspectives )

  वैदिक संस्कृति का अनुमोदन 
 (Life & Perspectives)  
   ईश्वर का हार्दिक धन्यवाद ,जो चीन ने अपनाई वैदिक रीति।
   सत्य सिद्ध हुई रामचरितमानस,"भय बिना नहीं होती प्रीति"।।

कोरोना वायरस निरंतर मौतों व व्यापार ठप्प होने से चीन घबराया।
चीन ही नहीं ,सम्पूर्ण विश्व में , मानवता पर रोग का भय 
मंडराया।।

   शवों को दफनाना बंद कर के , शव जलाने की रीति अपनाई।
 शवदाह करने से हर वायरस की समाप्ति,बात समझ में आयी।।

मांसाहारी होना ही है , अधिकतर रोगों की उत्पत्ति का कारण।
शाकाहारी बनने से ही होगा ,ऐसे घातक रोगों का निवारण।!
यज्ञ तथा हवन की अग्नि में ,पवित्र घी तथा सामग्री की आहुति।
 वैदिक पद्धति से ही सम्भव है  , समस्त विश्व में शांति की पूर्ति।।

शारीरिक-स्पर्श ,चुंबन व शेक-हैण्ड करने से होता,रोगाणु-प्रसार।
हाथ जोड़ नमस्कार करने से है सम्भव,मन-मस्तिष्क से सत्कार।।

चीन से ही सही समस्त विश्व ,धीरे-धीरे सद्मार्ग पर आएगा।
और संसार एक दिन " भारतीय वैदिक संस्कृति " अपनाएगा।                   नरेन्द्र चावला--ऑस्ट्रेलिया व अमेरिका